भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तान बंसरीअ जी ॿुधन्दे ई / हरि दिलगीर

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:15, 8 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि दिलगीर |अनुवादक= |संग्रह=पल पल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तान बंसरीअ जी ॿुधन्दे ई, पाणु विञाए पाण में,
राधा ॻोले श्याम खे।

बिंदिराबन जे कुंज कुंज में, हिक हिक प्रेम वथाण में,
राधा ॻोले श्याम खे।

वणनि वलियुनि में खेत-खेत में, सावक ऐं पीलाणि में,
राधा ॻोले श्याम खे।

कोयलि जी कू-कू में ॻोले, गुल-गुल जी सुरहाणि में,
राधा ॻोले श्याम खे।

जमुना जे लह/नि में ॻोले, पाणीअ जी नीलाणि में,
राधा ॻोले श्याम खे।

ॻोले ॻोले, धकिजी टुटिजी, टुॿी ॾिए थी पाण,
राधा ॻोले श्याम खे।
राधा ॻोलियो श्याम खे।
राधा पातो श्याम खे॥