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सोचु / हरि दिलगीर

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मूं सोचियो कुझु सोचु करियां,
ऐं सोचियुमि छा सोचियां आउं,
सोचे सोचे सोचियो मूं,
”छा सोचियां“ जो सोचु करणु
ठीक न आ।

सोचु कयुमि छा आहे सोचु,
छा जे लइ थो सोचु करियां,
पहुतुसि नेठि नतीजे ते,
सोचु करियां थो सोचण लाइ।

सोचण मंझि सुचेताई,
सोचण सां संसार बणियो,
सोचण सां वहिंवारु बणियो,
”तूं ऐं मां“ भी सोचु रुॻो,
नाला रूप बि आहिनि सोचु,
सोच बिना ॿियो कुझु भी नाहि,
सोचण जो कमु सोचण साणु,
सोचु करे पियो सोचु कमाइ।