भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नील-स्याम अद्भुत तेजोमय बालक / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:16, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(राग जोगिया-ताल कहरवा)
नील-स्याम अद्भुत तेजोमय बालक कमल-नयन भुज चार।
चक्र-गदा दक्षिण-कर शोभित, बाम शङ्ख-पंकजकी धार॥
कौस्तुभमणि, श्रीवत्स वक्षपर उरमें रत्न, कुञ्सुमके हार।
अति सुन्दर पीताबर कटिमें, करधनि मणिमय शोभा-सार॥
मणिवैदूर्य-महार्घ-विनिर्मित मुकुट शीश घुँघराले केञ्श।
चमक रहे अति सूर्य-रश्मिसे पाकर कुञ्ण्डल-कान्ति विशेष॥
भुज अन्गद राजत, कर कंकण, रत्नाभरण सुशोभित वेश।
परम मनोहर रूप-माधुरी सुन्दरताकी सीमा-शेष॥