भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जय अनन्त वैभवमयि / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग देश-ताल मूल)
जय अनन्त वैभवमयि, जय दारिद्र्‌य-बिदारिणि।
 जय अनन्त ऐश्वर्यखानि, हरि-हृदय-विहारिणि॥
 जयति देव-दानव-मानव सब दुःख-निवारिणि।
 जय वरदायिनि माता लक्ष्मी मंगलकारिणि॥
 अरुणाभा अरुणाबरा दिव्यभूषणा जयति जय।
 कमलकरा कमलासना द्युतमति कमला जयति जय॥