Last modified on 29 अक्टूबर 2016, at 12:22

जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:22, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा-भक्तनुग्रह-कातर ईश।
 बने दारुमय रूप अनोखे देते नित मंगल आशीष॥

सागर-तटपर पुरी-धाममें रहे दयामय नित्य विराज।
 करते सबका सहज परम हित, सजे विलक्षण मंगल-साज॥