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नित्य सच्चिदानन्द सदाशिव / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग भैरव-तीन ताल)

नित्य सच्चिदानन्द सदाशिव भालचन्द्र शुचि सौय सुरूप।
 सर्प-रत्न-मणि कुञ्सुम माल मण्डित गल, पिन्गल जटा अनूप॥
 नेत्रत्रय, त्रिपुण्ड शोभित, कटि भुजग, हरण मन्मथ मद-गर्व।
 ऋञ्क्ष-चर्म-परिधान ध्यानमय वन-तरु तले सुशोभित शर्व॥