भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
करता तुम्हें प्रणाम भक्ति से / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:31, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(राग ईमन-ताल कहरवा)
करता तुहें प्रणाम भक्ति से ऋञ्द्धि-सिद्धिदायक गणनाथ।
रहे तुहारी कृपा विघ्रहारिणि सुख-कारिणि मेरे साथ॥
रहे सदा मेरे मस्तकपर वरद तुहारा गणपति हाथ।
पागाएँ भक्ति राधिकाजीकी,गाएँ उनकी नित गुण-गाथ॥