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पॻ जो ख़्यालु / मुकेश तिलोकाणी

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तुंहिंजी,
पॻ जो, ख़्याल कंदे
बुख मरंदा अबहम।
तुंहिंजी हलति
चाल चलति
वासी वाणी ॿुधी
कंधु धूणींदा ‘हा’,
‘न’ जो नालो न।
जीअंदा जॻ में
लोकल गाॾीअ जियां
चपे चपे बीहंदा,
सहकंदा, कीकूं कंदा
वाका कंदा, दुख सहंदा
पहुचंदा कहिड़े माॻ
ख़बर खु़दा खे!