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दॿलीअ में खखिड़ो / मुकेश तिलोकाणी

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मुंहिंजी हासिलाति
दॿलीअ में खखिड़ो
तक धिन, तक धिन ता।
हिकु मधुरु साज़
सभिनी जो
मन बहिलाईंदडु़
तक धिन तक ता
टिकि ड़िकि, टिकि ड़िकि।
हासिलाति,
कंहिंखे वणंदड़
किन लाइ टाईम पास।
किन लाइ कलाकारी
समझ में अहमु पदु
पर, मुंहिंजो मनु
अंधीअ गुफ़ा में
पंहिंजी हासिलाति
समझण लाइ, खोटि खोटां।
सभिनी अॻियां पेश ईंदडु़
दॿलीअ अंदर खखिड़ो
तक धिन, तक ता
टिकि ड़िकि, टिकि ड़िकि।