Last modified on 17 फ़रवरी 2017, at 11:43

घर में तिलचट्टे / ब्रजेश कृष्ण

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:43, 17 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रजेश कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह=जो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वैज्ञानिक बताते हैं
कि धरती के बहुत पुराने जीव हैं वे
शायद आदमी से पुराना है उनका इतिहास
घनघोर जाड़े और भयानक गर्मी में
वे जीते हैं बहुत मजे़ में

कभी-कभी दिन में
असंभव जगहों और अप्रत्याशित चीज़ों से
वे बाहर आते हैं बहुत तेज़ी से
और तुरन्त छिप जाते हैं गुप्त स्थानों में
रात के सन्नाटे में वे विचरते हैं
पूरे धर में निडर होकर

गृहणियाँ अक्सर तंग रहती हैं उनसे
उन्हें वे अपने घरों में नहीं देखना चाहतीं
इसीलिए ईजाद किये जा रहे हैं
उन्हें मारे जाने के नये से नये उपाय

इन दिनों
जब अक्सर सुनाई पड़ती है
धरती से उन जैसे
अनेक जीवों के लुप्त होने की ख़बर
चिलचट्टे क्या सोचते हैं अपने बारे में

गृहणियों की नापसंद
मारे जाने के कारगर उपाय
और भयानक ख़बर के बीच
हमारे घरों में
रहस्य की तरह रहते हैं तिलचट्टे।