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प्रेम / गुंजनश्री
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स्नानागारक देबाल पर
टिकुली सन साटल
पानि सँ फूलल-फुलायल
लगैत छी अहाँ हमरा
जल-बिंदु सन छट-छट करैत
प्रेम मे फूलल-घुलल...
अहाँक प्रेम थिक
अध्यात्मक एक अजबारल अध्याय
मुदा हम चाहैत छी केवल काम
आगि नहि
आसक्ति मे जीबि रहल छी हम
ठीक ओहिना जेना
उर्वशीक खोईंछ मे रहनि
पुरुर्वाक जीवन