भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टेढ़ी-मेढ़ी रेखा / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:21, 6 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जीवन क्या है?
वह टेढ़ी-मेढ़ी-सी रेखा
प्रथम और अन्तिम दो श्वास-
बिन्दुओं को जो मिला रही है।
और मृत्यु क्या?
‘वह, वह एक सरल-सी रेखा
अंतिम और प्रथम दो श्वास-
बिन्दुओं को जो मिला रही है।
30.10.76