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वस्तु या व्यक्ति / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

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नारी वस्तु नहीं है, नारी व्यक्ति है
नारी मानव-श्री है, मानव-स्वस्ति है।

वह बेटी है, बहन, बहू, माँ, सास है
कोष स्नेह-ममता का उसके पास है?
मूर्तिमान माधुर्य, सिंहिनी शक्ति है।
नारी वस्तु नहीं है, नारी व्यक्ति है।1।

नारी का अपना स्वतंत्र अस्तित्व है
अपने में उसका स्वतंत्र व्यक्तित्व है;
वह न किसी की छाया या आवृत्ति है।
नारी वस्तु नहीं है, नारी व्यक्ति है।2।

रही झेलती धरती बन आकाश है
पर भूकम्पी ताकत उसके पास है;
उस ताकत से ही होनी अनुरक्ति है।
नारी वस्तु नहीं है, नारी व्यक्ति है।3।

नारी गृहलक्ष्मी है, लक्ष्मीबाई है
बेगम हजरत महल, अहिल्याबाई है;
वह सिंगार-अंगार भरी अभिव्यक्ति है।
नारी वस्तु नहीं है, नारी व्यक्ति है।4।

वह शिव की गंगा है, शिव की शक्ति है
वह देवी भगवती, भावना, भक्ति है;
नारी ही से होती मानव-सृष्टि है।
नारी वस्तु नहीं है, नारी व्यक्ति है।5।