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वर्षा के रात / सुमन सूरो

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वर्षा के दुपहरिया रात
पानी से ढलमल छै मेघ
भितरॅ सें झलकै छै चान
अंचरा के ओड़ॅ में बरलॅ छै दीप
खाड़ी छै आसा में छौड़ी जुआन
रही रही मारै छै पुरबैया घात
भरमी केॅ चुप-चुप छै जंगल पहाड़
मुस्कै छै धरती के हिरदय में कोढ़
सुतलॅ छै छाती में छाती सटाय
अन्हारॅ इंजोरिया में लागलॅ छै जोड़
फुसकै छै की की अनर्गल सब बात

-पनसोखा सें