भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वर्षा के रात / सुमन सूरो

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 14 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वर्षा के दुपहरिया रात
पानी से ढलमल छै मेघ
भितरॅ सें झलकै छै चान
अंचरा के ओड़ॅ में बरलॅ छै दीप
खाड़ी छै आसा में छौड़ी जुआन
रही रही मारै छै पुरबैया घात
भरमी केॅ चुप-चुप छै जंगल पहाड़
मुस्कै छै धरती के हिरदय में कोढ़
सुतलॅ छै छाती में छाती सटाय
अन्हारॅ इंजोरिया में लागलॅ छै जोड़
फुसकै छै की की अनर्गल सब बात

-पनसोखा सें