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कजली 3 / प्रेमघन
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कहर नजर कै माला जेवर ओठ लाल गुलाल रामा।
हरी बाचउ काला बाबा बरतरवाला रे हरी॥टेक॥
गोरा चिट्टा चेहरा पर बालमक जाँद से आला।
हरी बाल नाग-सा काला घूँघर वाला रे हरी।
जहरीला जिउमार दिये बहु जालिम तिरछी टोपी रामा।
बना फिरहु आफत का परकाला रे हरी।
कठिन कठिन उज्जड़ करि गैलेन केतने जेकरे कारन रामा।
लदि गैलेन कितने डामल के सजा को रे हरी।