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अपने आशिक पर सितमगर रहम करना चाहिए / प्रेमघन

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अपने आशिक पर सितमगर रहम करना चाहिए.
देखकर एक बारगी उससे न फिरना चाहिए॥
काटना लाखों गलों का रोज यह अच्छा नहीं।
आकवत के रोज़ को कुछ दिल में डरना चाहिए॥
जाँ निकलती है ग़मे फुरकत में तेरे ऐ सनम।
अब भी तो बेताब दिल को ताब देना चाहिए॥
रोज़ हिज़रां की नहीं होती है उमरों में भी शाम
अभी कुछ दिन और तुमको सब्र करना चाहिए॥
बोसये लाले लबे शीरीं की क्या उम्मेद है।
अब तुझे फरहाद थोड़ा ज़हर चखना चाहिए॥
साँस का आना हुआ दुशवार फुरकत से तेरे।
अब तो मिसले मोम दिल को नर्म करना चाहिए॥
अर्ज सुन बदरीनारायन की वहीं बोला वह शोख।
तुमको अपने दिल से नाउम्मीद होना चाहिए॥2॥