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पहाड़ ढाहैं हमारी आहैं / प्रेमघन

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पहाड़ ढाहैं हमारी आहैं,
जलाएँ जंगल जमीं हिलाएँ।
जो सीनये चर्ख चीर डालैं,
हमारे नाले कमाल क्या है।

जो इश्क सादिक हो आदमी को,
रहै जो साबित कदम तो फिर वह।
मिलै खुदा शक नहीं कुछ इसमें,
विसाल इन्सा मुहाल क्या है।

मजा है फुरकत में जो अजीजी,
है जिसमें मिलने की रोज चाहत।
भला हो जिसमें जुदाई आखिर,
बताओ तुफ़्ते विसाल क्या है।


परी-सा क़द वह चाँद-सी सूरत,
अदा वह अन्दाज वह हूर गिलमाँ।
कहूँ न क्या तुमसे ऐ अजीजो,
मेरा वह जादू जमाल क्या हैं।

बगैर खुशबू के गुल हैं जैसे,
बिला मुरव्वत है चश्मे नरगिस।
उसी तरह से वगैर सीरत,
हुआ जो हुस्नो जमाल क्या है।

अगर हो मुमकिन जो तुझसे नेकी,
बजा है तेरे जहाँ में जीना।
वो गर न जो एक दिन है मरना,
हिफ़ाजते गंजी माल क्या है।

गदाई तेरी गली को हमने किया है,
मुद्दत तक ऐ सितमगर।
मगर न पूछा कभी ए तूने,
कि हाय तेरा सवाल क्या है।

सन शबेतार हैं ऐ जुल्फैं,
शफ़क-सा है माँग में ए सिन्दू।
ग्वया सितारे हैं सब ए दन्दां,
जवीन मिसले हिलाल क्या है।

गुलों की शरमिन्दगी है रंगत से,
मेह मुनवर चमक से नादिम।
अजीब हैरान आइना है,
ए साफ़ सफाफ गाल क्या हैं।

गिला वह जारी हमारी सुनकर,
चढ़ा के तेवर वह शोख बोला।
ए झूठे आँसू बहाइए मत,
बताइए साफ हाल क्या है।

लखूकहाँ दिल बगैर कीमत हैं,
रोज लेते न सिर्फ़ तेरा।
नहीं जो मंजूर फेर देंगे फिर,
इसमें जाए सवाल क्या है।

दिया है जब नक्त दिल तुम्हैं तब,
लिया है बोसा जनाबआली।
बराये इनसाफ आके कहिए,
कि इसमें जाए मलाल क्या है।

उदास बैठे हो सर्वजानू,
नजर चुराते हो हाय हम से।
रखाए हो दिल कहँ बताओ,
जनाबे आली हवाल क्या है।

अगर बे हों फरहादी कैसमजनू,
वो हमको उस्ताद करके मानै।
रक़ीब बुजदिल मेरे मुक़ाविल,
सहै जफायें मजाल क्या है।

किसी शहे हुस्न महेलक़ा ने
किया तुझे क्या असीर उल्फत।
उदास हो क्यों बतावो बदरी,
नरायन अपनी कि हाल क्या है।

खराब खि़स्ता जलील रुसवा,
मतूँव बेदीं कहै जहाँ गर॥
मगर जो हैं मस्ते जामे उल्फत,
उन्हें फिर इसका खयाल क्या है॥9॥