तिनतुकी
 (खंजरीवालों की लय) 
नंद के कुमार, दियो तन मन वार, 
लखि आई तोरे जोबन पर बहार रे गुजरिया॥
जनु करतार, निज हाथनि सँवार, 
दियो तोहि रचि जगत सिंगार रे गुजरिया॥
नैना रतनार, मयन मद मतवार, 
हेरि सैनन की हनत कटार रे गुजरिया॥
दरके अनार, लखि मुस्कान डार, 
देत मानौ मोहनी-सी पढ़ि मार रे गुजरिया॥
प्रेमघन यार, गयो तोपैं बलिहार, 
ताकु ताहि तनी घूँघट उघार रे गुजरिया॥99॥