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बादलों से सलाम लेता हूँ / गोपालदास "नीरज"
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बादलों से सलाम लेता हूँ
रचनाकार | गोपालदास "नीरज" |
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प्रकाशक | डायमण्ड पॉकेट बुक्स, नई दिल्ली |
वर्ष | 2004 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 175 |
ISBN | |
विविध |
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गीत
- कारवाँ गुज़र गया / गोपालदास "नीरज"
- रीती सागर का क्या होगा / गोपालदास "नीरज"
- मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास "नीरज"
- सारा जग बंजारा होता / गोपालदास "नीरज"
- जूड़े घटाओं के / गोपालदास "नीरज"
- इसीलिए तो / गोपालदास "नीरज"
- इस तरह तय हुआ / गोपालदास "नीरज"
- ओ रे मन! रूप-रसिक / गोपालदास "नीरज"
- जीवन नहीं मरा करता है / गोपालदास "नीरज"
- हम तो मस्त फ़कीर / गोपालदास "नीरज"
- ये तो प्यासों की प्रेम सभा है / गोपालदास "नीरज"
- दिल के काबे में नमाज़ पढ़ / गोपालदास "नीरज"
- हर दर्पण तेरा दर्पण है / गोपालदास "नीरज"
- प्रेम पथ हो न सूना / गोपालदास "नीरज"
- मृत्यु-गीत / गोपालदास "नीरज"
- ...और आज़ादी लौट गयी (गद्य गीत) / गोपालदास "नीरज"
गीतिकाएँ
- अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई / गोपालदास "नीरज"
- खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की / गोपालदास "नीरज"
- जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह / गोपालदास "नीरज"
- गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारों / गोपालदास "नीरज"
- तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा / गोपालदास "नीरज"
- जितना कम सामान रहेगा / गोपालदास "नीरज"
- अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए / गोपालदास "नीरज"
- अब तो एक वरक़ तेरा मेरा ईमान हो / गोपालदास "नीरज"
- मुक्तक / गोपालदास "नीरज"
- सत्ताईस हाइकु / गोपालदास "नीरज"
- कोई दरख्त मिले या किसी का घर आये / गोपालदास "नीरज"
- निर्धन लोगों की बस्ती में / गोपालदास "नीरज"
- समय ने जब भी अंधेरों से दोस्ती की है / गोपालदास "नीरज"
- सफर ये साँस का अब खत्म होने वाला है / गोपालदास "नीरज"