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जितना कम सामान रहेगा / गोपालदास "नीरज"
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जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा
जितनी भारी गठरी होगी
उतना तू हैरान रहेगा
उससे मिलना नामुमक़िन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा
हाथ मिलें और दिल न मिलें
ऐसे में नुक़सान रहेगा
जब तक मन्दिर और मस्जिद हैं
मुश्क़िल में इन्सान रहेगा
‘नीरज’ तो कल यहाँ न होगा
उसका गीत-विधान रहेगा