Last modified on 4 सितम्बर 2018, at 21:48

है बड़ा दिलकश नजारा फाग का / मृदुला झा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:48, 4 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

है बड़ा दिलकश नजारा फाग का,
गा रहे हैं गीत प्यारा फाग का।

खिल उठीं कलियाँ भी देखो बाग की,
कर गया मदहोश नारा फाग का।

लहलहाते पौधे भी गाने लगे,
मिल गया सबको सहारा फाग का।

और जीना भी सरल होता अगर,
खुल गया होता पिटारा फाग का।

शीत, गर्मी और वर्षा झेलकर,
आ गया मौसम दुबारा फाग का।

जी सके खुशहाल जीवन सब यहाँ,
मिल गया सबाके इशारा फाग का।