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मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये / निदा फ़ाज़ली

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शायर: निदा फ़ाज़ली

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मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये

हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू के शोबदाकारी से बचिये

शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी
बड़े शहरों में बीमारी से बचिये

ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना
तक़ल्लुफ़ की रवादारी से बचिये

बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये