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तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग

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तुम अगर बेकरार हो जाते।
हम बहुत शर्मसार हो जाते।

तुम जो आते तो चान्द ही लमहात,
इश्क की यादगार हो जाते।

एक अपना तुम्हे बनाना था,
ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते।

तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोत भी बेशुमार हो जाते।

आसरा तुम अगर हमें देते,
हम तलातुम में पार हो जाते।