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कागज के गज / केदारनाथ अग्रवाल
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कागज के गज
गजब बढ़े;
धम-धम धमके
पाँव पड़े,
भीड़ रौंदते हुए कढ़े।
ऊपर
अफसर
चंट चढ़े,
दंड दमन के
पाठ पढ़े।
रचनाकाल: २६-०८-१९७८