आल्हा ऊदल / भाग 5 / भोजपुरी
बज पड़ गैल आल्हा पर ओ पर गिरे गजब के धार
जब से ऐलों इन्द्रासन से तब से बिदत भैल हमार
पिल्लू बियायल बा खूरन में ढालन में झाला लाग
मुरचा लागि गैल तरवारन में जग में डूब गैल तरवार
आल्हा लड़ैया कबहीं नव् देखल जग में जीवन में दिन चार
एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा खुसी मंगन होय जाय
खोलै अगाड़ी खोलै पिछाड़ी गरदनियाँ देल खोलाय
जीन जगमियाँ धर खोले सोनन के खोलै लगाम
पीठ ठोंक दे जब घोड़ा के घोड़ा सदा रहव कलियान
चलल जे राजा डेबा ब्राहमन घुड़ बेनुल चलल बनाय
घड़ी अढ़ाई का अन्तर में रुदल कन पहुँचल जाय
देखल सूरत घुड़ बेनुल के रुदल बड़ मंगन होय जाय
देहिया पोंछे जब घोड़ बेनुल के रुदल हँस के कैल जनाब
हाथ जोड़ के रुदल बोलल घोड़ा सुन ले बात हमार
तब ललकारें रुदल बोलल डेबा मंत्री के बलि जाओ
घोड़ा बेनुलिया तैयारी कर जलदी बोल करव् परमान
घोड़ा पलाने डेबा ब्राहमन रेसम के भिड़े पलान
चोटी गुहावे सोनन से चाँदी खील देल मढ़वाय
पूँछ मढ़ावल हीरा से महराजा सुनीं मोर बात
सात लाख के हैकलवा है घोड़ा के देल पेन्हाय
एतो पोसाक पड़ल घोड़ा के रुदल के सुनी हवाल