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आल्हा ऊदल / भाग 4 / भोजपुरी

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गज भर धरती घट जैहें प्रक चोट करों दैब से मार
तब तो बेटा जासर के नैं याँ पड़े रुदल बबुआन
चल गैल रुदल ओजनी से गढ़ पिअरी में गैल बनाय
लागल कचहरी है डेबा का जहवाँ रुदल पहुँचे जाय
सोना पलँगरी बिछवाइ सोना के मोंढा देल धरवाय
सात गलैचा के उपर माँ रुदल के देल बैठाय
हाथ जोड़ के रुदल बोलल बाबू डेबा ब्राहमन के बलि जाओं
लागल लड़ाइ नैना गढ़ में डेबा चलीं हमरा साथ
एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा बड़ मोहित होई जाय
जोड़ गदोइ डेबा बोलल बाबू सुनीं रुदल बबुआन
जहवाँ पसीना है रुदल के तहवाँ लोधिन गिरे हमार
डेबा डेबा के ललकारे डेबा सुन बात हमार
बाँधल घोड़ा तबल खास में घोड़ा ए दिन लावव् हमरा पास
चल गैल डेबा गढ़ पिअरी से तबल खास में पहुँचल जाय
बावन कोतल के बाँधल है बीच में बाँधल बेनुलिया घोड़
ओहि समंदर डेबा पहुँचल घोड़ा कन पहुँचल जाय
जोइ गदोइ डेबा बोलल घोड़ा सुनव् बात हमार
भैल बोलाहट बघ रुदल के
लागल लड़ाइ नैना गढ़ में घोड़ा चलव् हमरा साथ
एतना बोली घोड़ा सुन गैल घोड़ा के भैल अँगार
बोलल घोड़ा जब डेबा से बाबू डेबा के बलि जाओं