आल्हा ऊदल / भाग 3 / भोजपुरी
जन जा रुदल नैना गढ़ में बबुआ कहना मान हमार
प्रतना बोली रुदल सुन गैल रुदल बर के भैल अँगार
हाथ जोड़ के रुदल बोलल भेया सुनी बात हमार
कादर भैया तूँ कदरैलव् तोहरो हरि गैल ग्यान तोहार
धिरिक तोहरा जिनगी के जग में डूब गैल तरवार
जेहि दिन जाइब नैना गढ़ में अम्बा जोर चली तरवार
टूबर देहिया तूँ मत देखव् झिलमिल गात हमार
जेहि दिन जाइब नैना गढ़ में दिन रात चली तरवार
एतना बोली आल्हा सुन गैल आल्हा बड़ मोहित होय जाय
हाथ जोड़ के आल्हा बोलल बाबू सुनव् रुदल बबुआन
केत्त मनौलों बघ रुदल के बाबू कहा नव् मनलव् मोर
लरिका रहल ता बर जोरी माने छेला कहा नव् माने मोर
जे मन माने बघ रुदल से मन मानल करव् बनाय
एतना बोली रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय
दे धिरकारीरुदल बोलल भैया सुनीं गरीब नेवाज
डूब ना मूइलव् तूँ बड़ भाइ तोहरा जीअल के धिरकार
बाइ जनमतव् तूँ चतरा घर बबुआ नित उठ कुटतव् चाम
जात हमार रजपूतन के जल में जीबन है दिन चार
चार दिन के जिनगानी फिर अँधारी रात
दैब रुसिहें जिब लिहें आगे का करिहें भगवान
जे किछु लिखज नरायन बिध के लिखल मेंट नाहिं जाय