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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 11 से 20 तक/पृष्ठ 8

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राग केदारा
 
रघुकुलतिलक! बियोग तिहारे |
मैं देखी जब जाइ जानकी, मनहु बिरह-मूरति मन मारे ||

चित्र-से नयन अरु गढ़ेसे चरन-कर, मढ़े-से स्रवन, नहि सुनति पुकारे |
रसना रटति नाम, कर सिर चिर रहै, नित निजपद-कमल निहारे ||

दरसन-आस-लालसा मन महँ राखे प्रभु-ध्यान प्रान-रखवारे |
तुलसिदास पूजति त्रिजटा नीके रावरे गुन-गन-सुमन सँवारे ||