Last modified on 22 जुलाई 2016, at 23:45

अनुसयना नायिका बरनन / रसलीन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 22 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसलीन |अनुवादक= |संग्रह=फुटकल कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कान्ह चले बन को तब बाल को सास ने काज कहे घर ही के।
बेगही बेग तिन्हैं करिके जब जान लगी मिस कै ढिग पी के।
ताछन आइ गए रसलीन गहे जिव में अभिलाख जो जी के।
लाल लखें सुख होत है त्यों लखि लाल को आन भयो दुख ती के॥44॥