Last modified on 18 जनवरी 2017, at 17:19

कहत कोऊ आयौ जापान द्वार भारत के / नाथ कवि

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:19, 18 जनवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाथ कवि |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBrajBhashaRa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कहत कोऊ आयौ जापान द्वार भारत के।
कोऊ कहत बर्मा सब बानै लै लीनौ है॥
कहत कोऊ नाजी गये हार अब रसिया सौं।
कोऊ कहत हिटलर नै कठिन प्रण कीनौ है॥
कहत कोऊ भारत कौ मिलि है स्वराज्य वेग।
भेज कैं फिलिप्स द्वार बन्द कर दीनौ है॥
रावण से बली विलाय गये पल भर में।
ऐसे ही विलैयै ब्रिटिश राज मत हीनौ है॥