भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कानन ते आंगुरी हटाय कैं सुनौ जी ‘नाथ’ / नाथ कवि
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:17, 18 जनवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाथ कवि |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBrajBhashaRa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कानन ते आंगुरी हटाय कैं सुनौ जी ‘नाथ’,
हाल ही जुटे हैं अमरीका अरु जापान हैं।
नाजीन नै यूरोप दबाय रसिया हू दल्यौ,
चारों ओर यूरोप में युद्ध घमासान है॥
चेत रे अचेत रण आयौ द्वार भारत के,
सिंगापुर बर्मा में लड़ाई के निसान हैं।
चाहत भलाई तौ स्वतन्त्रता हवालें कर,
भारत के जौहर कौं जानत जहान है।