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बंदनवार बँधे सब कैं, सब फूल की मालन छाजि रहे हैं / शृंगार-लतिका / द्विज

मत्तगयंद सवैया
(महाराज ऋतुराज के सम्मानार्थ तैयारियों का वर्णन)

बंदनवार बँधे सब कैं, सब फूल की मालन छाजि रहे हैं ।
मैनका गाइ रहीं सब कैं, सुर-संकुल ह्वै सब राजि रहे हैं ॥
फूल सबै बरसैं ’द्विजदेव’, सबै सुखसाज कौं साजि रहे हैं ।
यौं ऋतुराज के आगम मैं, अमरावति कौं तरु लाजि रहे हैं ॥१२॥