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मानोगे इक बात कहो तो बोलूँ मैं / दीपक शर्मा 'दीप'

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दुनियाभर की बात जुटाई जाती है
फिर अच्छे से आग लगाई जाती है

बाद में उस को ताना मारा जाता है
 पहले लड़की ख़ूब सजाई जाती है

 हम अच्छे हैं और बुरे हैं बाक़ी सब
  यह इल्ली तो सब में पाई जाती है

पहले सिर पर यार चढ़ाया जाता है
फिर गुस्से से आँख दिखाई जाती है

जहाँ सिखाया जाता है कि अच्छा बन
  वहीं बगल में नाक कटाई जाती है

आस-पड़ोसी हर साज़िश में हैं शामिल
और, यहीं पर रोज़ मिठाई जाती है

तुलसी तक मुरझा जाती है 'दीप' यहाँ
जब जब माँ के घर भौजाई जाती है