रोला
(परकीया नायिकाओं का संक्षिप्त वर्णन)
रचि-रचि औरैं रूप, कबहुँ अनुराग बढ़ावैं ।
बिन हरि भेटैं बहुरि, बहुत बिरहा-दुख पावैं ॥
हरि-आवन-बन-जानि, कबहुँ भूषन-पट साजैं ।
बेर भए तैं कबहुँ, ताप सौं सब अँग छाजैं ॥४५॥
रोला
(परकीया नायिकाओं का संक्षिप्त वर्णन)
रचि-रचि औरैं रूप, कबहुँ अनुराग बढ़ावैं ।
बिन हरि भेटैं बहुरि, बहुत बिरहा-दुख पावैं ॥
हरि-आवन-बन-जानि, कबहुँ भूषन-पट साजैं ।
बेर भए तैं कबहुँ, ताप सौं सब अँग छाजैं ॥४५॥