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मोती की पीड़ा / भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’
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बहुत ताकत लगी थी
समुद्र को बादल बनने में
बहुत ताकत लगी थी
बादल को बूंद में ढलने में
बहुत तपस्या की थी सीपी ने
तब जाकर मिली-
स्वाति नक्षत्र की बूंद !
आज जो
जन्मा है मोती
उसे मैं किस का नाम दूं?
समुद्र का?
बादल का?
या कि स्वाति नक्षत्र का?
या फिर सीपी की तपस्या का?
किसका बीज है यह??
गहरे पानी सोच सोच कर
पागल हुआ जाता है मोती !
अनुवाद : नीरज दइया

