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मेरी तरह / नंदकिशोर आचार्य

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सूखी धरती के
बहती रहती है जलधार
 
सदा बसा रहता है
अपनी स्मृतियों में
आकाश के कानों में
गूंजा गूँजा ही करती सब समय
सन्नाटों की पुकार
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