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|संग्रह =
}}
{{KKCatKavita}}<poem>साँस लेना भी कैसी आदत है <br>जीये जाना भी क्या रवायत है <br>कोई आहट नहीं बदन में कहीं <br>कोई साया नहीं है आँखों में <br>पाँव बेहिस हैं, चलते जाते हैं <br>इक सफ़र है जो बहता रहता है <br>कितने बरसों से, कितनी सदियों से <br>जिये जाते हैं, जिये जाते हैं <br><br> आदतें भी अजीब होती हैं <br><br>
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