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|संग्रह=
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कठै पूगग्या हां म्हे ?
कांई गीत
अर
कांई बात !
तरसै गीतां नै कंठ
रांचै पाठकां नै
कविता अर सबद ।सबद।
वेलै माईतां सारू
टाबर
अर बेटा सारू
संभाळौ, सभाळौ,
अर सभाळौ
नींतर व्हैला
</poem>

