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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अज्ञात
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सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार
वातो हार की छोलना उबरी बाई
सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो
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