भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatNepaliRachna}}
<poem>
धरती का यौवन का मस्त खिलने पर
फूलों का, ऊँचाइयों को छूकर आसमान को चूमना जैसा,
झिलमिलाता हुआ सुबह का सूरज
सपनों की परी से मिलने के लिए ऊँचाइयों की ओर दौड़ने जैसा।जैसा,
प्रेम पिघलता आँखों से
ऊँचाइयों की ओर क्यों नहीं बहते आँसू?
Mover, Reupload, Uploader
10,429
edits