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Kavita Kosh से
और मन ही मन टिकोला मारना चाहते हैं
उसके गंजे सर पर
दोनों हँसे
अपने बचे हुए दाँत दिखाते हुए
बुढ़िया ने हँसते हुए टिकाना चाहा
(जितना वह झुक पाई)
झुर्रियों भरा अपना गाल बुड्ढे के माथे पर
बैलगाड़ी के एक बहुत पुराने पहिए ने
याददाश्त सँभालते हुए गर्व से बताया :
मैं ही लेकर आया था इनकी बारात । बारात।
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