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|रचनाकार=अज्ञातशिव कुमार बटालवी
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|भाषा= पंजाबी }}
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डाची वालेया वालेआ मोड़ मुहाल मुहार वे सोहणी वालिया वालेआ लै चल नाल वे ,डाची वालेआ मोड़ मुहार वे...
डाची वालेया मोड़ मुहार वे...सोहणी... तेरी डाची ते दे गल विच टलीयां विच्च टल्लीआंनी वे मैं पीर मनावन चलीआं मनावन चलीयां तेरी डाची दी सोहनी चाल वे , ओये -डाची वालेया मोड़ मुहाल मुहार वे ... तेरी डाची थल्लन थलां नू चीरनी वे मैं पीरन पीरां नू सुखनी सुख्खनी आ खीरनी, आके तक तक्क जा सदा साडा हाल वे, ओये डाची वालिया वालेआ मोड़ मुहार वे ... तेरी डाची दे चुम्नीयां चुम्नीआं पैर वे तेरे सिर दी मंगनीयां मंगनीआं खैर वे,साडी जिंदगी जिंदड़ी नू एन्ज गाल वे, ओये डाची वालिया वालेआ मोड़ मुहार वे ... तेरी डाची तों सदके मैं जानीयां, जानीआंपंजा पीरन पीरां नू पई मैं मनानिआँ. मनौनिआँ. सुखां सुख्खां सुखनिआँ तेरियां लाल वे, ओये डाची वालिया वालेआ मोड़ मुहार वे... डाची वालेआ मोड़ मुहार वे सोहणी वालिया वालेआ लै चल नाल वे...
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