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टँगे हुए चेहरे / सूरज राय

3 bytes added, 21:47, 18 नवम्बर 2010
जब जहाँ जिसकी ज़रूरत पहनो
खूटियों खूँटियों पर टँगे हुए चेहरे ।।
चीख़ती हैं अमावसें दिल की
चाँद-‘सूरज’-चिराग सब बहरे ।
</poem>
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