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|रचनाकार=अमीर खुसरो
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काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेस
काहेको ब्याहे बिदेस, रेभैया को दियो बाबुल महले दो-महले हमको दियो परदेस अरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहेको काहे को ब्याहे बिदेस<br><br>
भैया को दियो हम तो बाबुल महले दो-महले<br>तोरे खूँटे की गैयाँ हमको दियो परदेस<br>जित हाँके हँक जैहें रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br>
हम तो बाबुल तोरे खूँटे बेले की गैयाँ<br><br>कलियाँ जिद हाँके हँक घर-घर माँगे हैं जैहें<br>रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br><br>
हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ <br>कोठे तले से पलकिया जो निकली घर-घर माँगे हैं जैहें<br>बीरन में छाए पछाड़ रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br><br>
कोठे तले से पलकिया जो निकली<br>हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ बीरन में छाए पछाड़<br>भोर भये उड़ जैहें रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br><br>
हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ<br>तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़ भोर भये उड़ जैहें<br>छूटा सहेली का साथ रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br><br>
तारों भरी मैनें गुड़िया डोली का पर्दा उठा के जो छोडी़<br>देखा छूटा सहेली आया पिया का साथ<br>देस रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br><br>
डोली का पर्दा उठा के जो देखा<br>आया पिया का देस<br>रे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br><br> रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br>काहे को ब्याहे बिदेस<br>रेअरे, लखिय बाबुल मोरे<br><br>
''इस रचना के कुछ अंशो को हिन्दी फ़िल्म उमराओ जान के लिये जगजीत कौर ने ख़्य्याम के संगीत में गाया भी है''
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