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सजनी / देवी प्रसाद मिश्र
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कि सजनी अब तो रहा न जाए
पानी में तेज़ाब घोल दे नदी चुरा ले जाए
रात बनाए रक्खे कोई दिया न जलने पाए
गाना इतना तेज़ लगा दे बात न होने पाए
हवा धुएँ से भर दे सीधे पेड़ काटने आए
बात कहो तो हाथ पकड़ ले औ' पिस्तौल दिखाए
बहुत प्यार करने का वादा करके घर न आए
कि साजन सत्ता होता जाए
कि साजन कुत्ता होता जाए
कि सजनी अब तो रहा न जाए

