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'सुबह' नाम है लड़की का / कुमार रवींद्र
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आज
अभी तक आई नहीं सुबह
'सुबह' नाम है उस लड़की का
जो छत पर आ
रोज़ सुनहले बाल सुखाती
कभी झाँक जाती कमरे में
दिखती रहती है
छज्जे पर आती- जाती
आज 'लेट' है
पता नहीं क्या हुई वज़ह
रूपवती वह
इसका पता उसे है
वह इठलाती रहती
'काँव-काँव' कौव्वे की सुनकर
वह हँसती है
कोयल के सँग गाती रहती
आज लग रहा
इनसे उसकी हुई कलह
सूरज उसका है प्रेमी
वह उसे प्यार से
रोज़ उठाती
दुपहर तक पडोस में फिरती
पता नहीं फिर
कहाँ बिलाती
अगले दिन तक
सहती प्रिय से रोज़ विरह