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अनचहा / संतरण / महेन्द्र भटनागर
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					(अनचहा (संतरण) / महेन्द्र भटनागर से पुनर्निर्देशित)
										
					
					केसर-सी मधु-गंधि  
कुमारी अभिलाषाएँ, 
अन्तरतम में संचित 
युगों सहेजी आशाएँ 
परित्यक्ता हैं ! 
निर्मल भोली 
लगता था: मेरी हो लीं ! 
नेह भरी दिन भर डोलीं, 
यामा में 
मदहोश गुलाबी आँखें खोलीं ! 
रजनी-हासा 
रजनी-गंधा 
परित्यक्ता हैं, 
आज सभी परित्यक्ता हैं !  
ओ रजनी-हासा ! 
प्यासा.... प्यासा ! 
चिर साधों के उत्सव 
आगत नव जीवन के  
स्वागत-पर्व 
सभी 
गर्भ-क्षय-से पीड़क, 
हीरक सपनों की रातें, 
मधुजा-सी बातें 
परित्यक्ता हैं !  
मौन 
मन-मैना, 
बरसे नैना !  
मधु-माधव बीत गया, 
ओ ! मधुपायी 
मधुरस रीत गया !
	
	