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ओस में भीगी हुई / धर्मवीर भारती
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(ओस में भीगी हुई (मुक्तक) / धर्मवीर भारती से पुनर्निर्देशित)
ओस में भीगी हुई अमराईयों को चूमता
झूमता आता मलय का एक झोंका सर्द
काँपती-मन की मुँदी मासूम कलियाँ काँपतीं
और ख़ुशबू सा बिखर जाता हृदय का दर्द!