भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
केसरि से बरन सुबरन / बिहारी
Kavita Kosh से
(केसरि से बरन सुबरन से पुनर्निर्देशित)
केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ
बरनीं न जाइ अवरन बै गई।
कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं,
उष हू तैं मीठै बैनन बितै गई।
भौंहिनि नचाइ मृदु मुसिकाइ दावभाव
चचंल चलाप चब चेरी चितै कै गई।
लीने कर बेली अलबेली सु अकेली तिय
जाबन कौं आई जिय जावन सौं दे गई।।