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गुड़िया-9 / नीरज दइया

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वैसे तो वह
चुप ही रहती है
कहती कुछ भी नहीं
समझने वाले
समझ जाते हैं

उस के दुख में
उसे बहलाते हैं
फुसलाते हैं
और वह पगली
बहल जाती है !